tag:blogger.com,1999:blog-48412869873459612772024-03-05T23:29:58.414-08:00yatraओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-47075003451370564022008-12-11T00:56:00.000-08:002008-12-11T01:20:38.579-08:00इंटरनेट पर राज- पत्रसरकार यदि कोई कानून पारित करती है या कोई सुचना या अधिसूचना जारी करती है तो, जन साधारण को उस की जानकारी देने का एक ही मध्यम है। और वो मध्यम है - गेजेट (राज -पत्र)। कानून व सूचनाओं को जनसाधारण तक पहुंचाने की सरकार की जिम्मेदारी, गजेट में प्रकाशित कर देने से पुरी हो जाती है। सुना गया है कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी इस बात को सही माना है। सतही तौर पर देखा जाए तो इसमें कोई समस्या भी नही है। पर ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-60811320815396566492008-11-29T01:12:00.000-08:002008-11-29T01:36:35.630-08:00कोई पप्पू न बचेअब तो समझ में आ गयी अपने नेताओं की औकात। जिस देश के लाखों करोड़ रुपये स्विस बैंक में सड़ रहे हैं उस देश के पास अपनी सुरक्षा पर खरचने को पैसे नहीं है। चाहे वो पुलिस हो, चाहे वो सेना हो या चाहे वो रेलवे हों, समान की खरीद में २0-२५ प्रतिशत की धांधली की बातें अक्सर सुनायी देती है। उसके बाद भी समान की गुणवत्ता की बात तो कर ही नहीं सकते। कौन किसको पकड़े- हम्माम में सभी नंगे हैं।ऐसा क्यों हो रहा है? ऐसा ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-30502776998149918332008-11-28T03:02:00.000-08:002008-11-29T01:26:16.640-08:00जबरदस्त तमाचा है हिन्दुस्थान के गाल पर।मुंबई में जो हुवा वो एक और जबरदस्त तमाचा है अपने हिन्दुस्थान के गाल पर। मुझे नहीं लगता किसी भी राजनेता को कोई गुस्सा भी आया होगा उनके इस दुस्साहस पर। हर थोड़े दिनों पर कोई न कोई घटना और हमेशा एक ही बहाना- Intelligency Failure।१ अरब से ज्यादा लोगों के इस देश को एक छोटा सा देश लगातार परेशान कर रहा है, और हमारे नेताजी हैं कि दोस्ती की बातें कर रहें है। क्या ६० बर्षों का अनुभव कम है किसी को परखने के ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-68828019364607153582008-11-17T04:31:00.000-08:002008-11-17T04:46:04.361-08:00फतवा और भी जारी करना है.लो भाई लोगो, समझदारों ने अब मधुशाला जैसी रचनाओं को पढना शरु कर दिया है। अब कैसे बर्दास्त करें भाई, अपने मजहब या मजहब स्थल पर ऐसी बातें? कर दिया जारी फतवा, जो करना है आप कर लो। हमारा तो नाम ही होगा न भाई? हिम्मत कैसे हुई किसी की कि मधुशाला को मजहब स्थल से बेहतर बताये। प्रतिक, उर्तिक क्या होता है? प्रतिक उर्तिक कि बात कर के हमें बेवकूफ बनाना चाहते हैं क्या आप लोग? अमिताभ जी ध्यान रखियेगा, बाबूजीओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-33080834090114869092008-11-11T02:50:00.000-08:002008-11-11T03:22:52.006-08:00'सलवार कमीज़ बनाम साड़ी'- आपकी टिपण्णीऋतू जी ने 'सलवार कमीज़ बनाम साड़ी' शीर्षक आलेख पर अपनी टिपण्णी दी है, और इस चर्चा को आगे भी बढाया है। उसी चर्चा को और आगे ले जाने के प्रयास में:-ऋतू जी, सबस पहले तो धन्यवाद कि, आपने मेरे बिचारों पर टिपण्णी की। मुझे नहीं पता की मेरी कमजोर लेखनी से इतनी बड़ी चुक कहाँ हो गयी जिससे आपको लगा कि मैंने पुरूष-महिला के पहनावे के बीच कोई होड़ की है। परिवार के पुरूष सदस्यों के धोती पहनने वाली बात से मेरा ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-45438203434897010702008-11-11T01:52:00.000-08:002008-11-11T02:51:49.996-08:00'धरती धोरां री' ने अन्तिम विदाई दी अपने प्यारे पुत्र को.11 नवम्बर 2008; कोलकाता: महामनीषी पद्मश्री श्री कन्हैया लाल सेठिया नहीं रहे। pरपट जानकारियों के अनुसार आज दोपहर तीन बजे उनकी अमर शोभा यात्रा इनके निवास स्थान : भवानीपुर में 6, आशुतोष मुखर्जी रोड, कोलकात्ता-20 से नीमतल्ला घाट की ओर प्रस्थान करेगी।‘धरती धौरां री’ एवं ‘पातल और पीथल’ जैसी कालजयी गीतों के रचयिता श्रधेय सेठिया जी को भावभीनी श्रधांजलि।ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-64970894531743948132008-11-10T21:43:00.000-08:002008-11-10T22:24:30.170-08:00काली बिल्लीरीती -रिवाज़, परम्पराएँ ये ऐसे शब्द जो ज्यादातः उन लोगो द्वारा कहे जाते हैं जोइन शंब्दों का सही अर्थ तक नहीं जानते। वैसे ही ये शब्द उन लोगों पर ज्यादा प्रभाव छोड़ते हैं जो इस शब्दों का सही मतलब ही नहीं समझते। रीती रिवाज़ और परम्पराओं के नाम पर हमारे समाज में जाने अनजाने कुछ ऐसे कार्य शामिल कर लिए गएँ है या कुछ ऐसे कार्यों को अनिवार्य बना लिया गया है, जिन की आज कोई प्रासंगिकता ही नहीं है। इस गूढ़ ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-68049921529014255672008-11-06T23:07:00.000-08:002008-11-07T23:14:05.174-08:00सलवार कमीज़ बनाम साड़ीअभी हाल ही की बात है, एक लड़की शादी कर ससुराल गयी। शादी के पहले वो लड़की न सिर्फ़ सलवार कमीज़ पहनती थी बल्कि जींस स्कर्ट आदि भी पहना करती थी। शादी के बाद उसे बताया गया कि चूँकि लड़के कि माँ को सलवार सूट पसंद नहीं है इसलिए लड़की को सिर्फ़ साड़ीयां पहननी पड़ेगी। लड़की के इस अनुरोध को कि उसे सलवार सूट पहनने कि इजाज़त दी जाए, ससुराल वाले ने सिरे से खारिज कर दिया। लड़की के पास और कोई चारा नहीं था और न ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-50402492186449911042008-11-05T23:06:00.000-08:002008-11-06T03:22:24.513-08:00रेलवे लालूजी की PERSONAL PROPERTY नहीं है.अलग अलग आतंकवादी और अलगाववादी घटनाओं में बेकसूर लोगो की मौत आजकल अपने महान भारत में एक आम बात हो गयी है। आज दिल्ली में, कल बंगालोरु में, परसों असम में, महाराष्ट्र में...... । हर एक भारतीय नागरिक जो कि इन घटनाओं का शिकार बनता है, हम सभी भारत वासियों की सहानुभूति, संवेदना का पात्र है। लेकिन इन घटनाओं को राजनैतिक रंग देने वालों और इन घटनाओं से राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश करने वाले नेताओं को सबक ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-4849563769369534912008-11-05T04:23:00.000-08:002008-11-05T05:46:09.116-08:00http://kavimanch.blogspot.com/ के कवि मंच में मेरी यह कविता प्रकाशित हुई है।"एक दिन"पता नहीं किस धुन में था,या रात पढ़ी किताब का असर था सुबह जूतें नही बाँध करचप्पल पहने ही निकल गया था।दफ्तर में,रामदीन को आवाज़ नहीं दे करख़ुद ही उठ करपानी पी आया।तालिया बजाने वाले इन हाथो से"मजदूरों की समस्या" सेमिनार में बोलतेस्वामीनाथन के अमेरिकीगिरेबान को पकड़ बैठा।शाम को बार में जाते जातेठिठक कर रुक गया,बाहर बैठे ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4841286987345961277.post-56434210381724213552008-11-05T02:16:00.000-08:002008-11-05T08:01:48.198-08:00मधुशाला से कुछ जामयात्रा में पहला पैर दायां उठना चाहिए या बायाँ? याद नही आ रहा है - किसी से पूछों तो अपने विद्वता के भ्रम को खतरा है। मैं ऐसा करता हूँ कि दोनों पैरों को एक साथ ही उठाता हूँ और कूदी मार कर इस ब्लॉग की यात्रा प्रारम्भ करता हूँ।बच्चन जी की मधुशाला मेरी कमजोरी है, मैं मधुशाला से कुछ जाम लेकर यह यात्रा प्रारम्भ करूंगा।मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला,‘किस पथ से जाऊँ?’ असमंजस में है वह भोलाभाला,ओमप्रकाश अगरवालाhttp://www.blogger.com/profile/05591825118913594670noreply@blogger.com7