Thursday, November 6, 2008

सलवार कमीज़ बनाम साड़ी

अभी हाल ही की बात है, एक लड़की शादी कर ससुराल गयी। शादी के पहले वो लड़की न सिर्फ़ सलवार कमीज़ पहनती थी बल्कि जींस स्कर्ट आदि भी पहना करती थी। शादी के बाद उसे बताया गया कि चूँकि लड़के कि माँ को सलवार सूट पसंद नहीं है इसलिए लड़की को सिर्फ़ साड़ीयां पहननी पड़ेगी। लड़की के इस अनुरोध को कि उसे सलवार सूट पहनने कि इजाज़त दी जाए, ससुराल वाले ने सिरे से खारिज कर दिया। लड़की के पास और कोई चारा नहीं था और न चाहते हुवे भी उसे सलवार सूट पहनना छोड़ना पड़ा।
मजे की बात यह है कि घर के सभी पुरूष जींस और trousers पहनते हैं, और घर में किसी को कोई आपत्ति नहीं है। सवाल उठता कि ऐसी बंदिश सिर्फ़ लड़की पर ही क्यों? सिवाय पूर्वाग्रह और जिद के इस बंदिश को और क्या नाम दिया जाए। चलो, मान लिया कि माँ पुराने जमाने की है और संभवतः बहु के मन की बात समझ नहीं पाई है, पर लड़के और घर के अन्य पुरुषों की अक्ल को कौन सा दीमक चाट गया? यदि उनकी माँ को trousers , जींस पसंद नहीं हो तो क्या वो धोती पहनने लगेंगे? या फिर क्या वे बता सकतें हैं कि साड़ी, सलवार सूट के मुकाबले किस मायने में अच्छी है? या यदि बहु सलवार पहने तो हर्ज़ क्या है?
आख़िर घर वालों की सारी मतलब बेमतलब की इच्छाओं का आदर करने का ठेका बहुवों का ही क्यों है?

3 comments:

makrand said...

bahut sahi kaha sir aapne

Ritu said...

आपने निःसंदेह एक सही मुद्दा चुना है. पर मुझे नही लगता की आपने पुरूष-महिला के पहनावे के बीच जो होड़ की है वो सही है. जरुरी नही की हर बात जो लड़को पर लागू हो वह लड़कियों पर भी बराबर लागू हो (or vice versa). रही बड़े बूढों की बंदिश की बात तो शायद यही Generation Gap है, जो जाते से जायेगा.

Arvind Gaurav said...

aap bahut accha likhte hai...aaj se mai aapka naya follower hu