सरकार यदि कोई कानून पारित करती है या कोई सुचना या अधिसूचना जारी करती है तो, जन साधारण को उस की जानकारी देने का एक ही मध्यम है। और वो मध्यम है - गेजेट (राज -पत्र)। कानून व सूचनाओं को जनसाधारण तक पहुंचाने की सरकार की जिम्मेदारी, गजेट में प्रकाशित कर देने से पुरी हो जाती है। सुना गया है कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी इस बात को सही माना है। सतही तौर पर देखा जाए तो इसमें कोई समस्या भी नही है।
पर समस्या है। और समस्या है गेजेट का अनियमित प्रकाशन व समय पर नागरिकों को गेजेट प्राप्त न होना। जो लोग भी गेजेट मँगाने कि हैसियत रखते हैं और गेजेट के सालाना ग्राहक है, उनका यही कहना है कि उन्हें बहुत कम गेजेट ही प्राप्त होते है और pरपट होने वाले गेजेट भी अक्सर देर से प्राप्त होते हैं। सरकार चाहे तो गेजेट प्रकाशन वाले दिन से ही सुचना, कानून आदि को प्रभावी बना सकती है, जबकि नागरिकों को उसकी सुचना काफी देर से मिलती है। खाश कर, कर सम्बन्धी सूचनाओं और अधिसूचनाओं में इस कारण काफी समस्याए आती है।
जैसा कि अन्य कई देशों में है, क्या हमारी सरकारें (केंद्रीय और राज्य) गेजेट को ओन-लाइन प्रकाशित नही कर सकती? जरा सोचिये गेजेट ओन-लाइन प्रकाशित होने से लोगो को कितना भला हो जाएगा। अन्तर-जाल (inetrnet) पर जाने वाला हर एक नागरिक माउस क्लिक पर सरकारी सूचनाएं प्राप्त कर सकेगा। जरा सोचिये और अपनी टिपण्णी दीजिये:-
०१। क्या ऐसा होना चाहिए?
०२। हम इसके लिए क्या कर सकते हैं?
ओमप्रकाश अगरवाला
5 comments:
ओमप्रकाश जी
आप का कहना बिल्कुल ठीक है, हमारे यहाँ गज़ट के प्रकाशन का पता हि नही चलता
ऑनलाइन छापना इस का एक समाधान है
ऑनलाइन छापना एक अच्छा विकल्प हो सकता है अन्य माध्यमों के साथ साथ.
उड़न तश्तरी जी से मैं एकदम सहमत हूँ. जारी रहें.
बेहतरी रचना के लिए
बहुत -२ आभार
बेहतरी रचना के लिए
बहुत -२ आभार
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